मेरा सामान्य परिचय :

प्राप्त शरीर का नाम- गोपाल स्वामी धीरजानंद सरस्वती गुरु गोपालाचार्य स्वामी गोपालानन्द जी सरस्वती।
जन्म दिनांक: 20 जनवरी 1987
शरीर का पूर्व नाम:- सुरेश माली
प्राप्त शरीर की जन्म भूमि:- रायला, जिला भीलवाड़ा, राजस्थान- पिन-311024.
लौकिक शिक्षाः- दसवीं तक
आध्यात्मिक शिक्षा:- परम पूज्य गुरुदेव भगवान के सानिध्य में जगत जननी भगवती, गौ माता के दिव्य एवं ईश्वरीय स्वरूप की महिमा का श्रवण, चिन्तन, मनन तथा श्रीमद्भगवत गीता व वेदांत का अध्ययन।

संन्यास दीक्षा:- परम पूज्य ग्वाल संत श्री स्वामी गोपालाचार्य स्वामी गोपालानन्द जी सरस्वती जी गुरुदेव से 2021 में लौकिक जीवन त्याग कर ब्रह्मचारी दीक्षा ली।

श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा द्वारा संचालित कामधेनु गौ अभयारण्य, सालरिया, आगर-मालवा, मध्य प्रदेश, में परम पूज्य गुरूदेव भगवान के द्वारा शंकराचार्य परंपरा से 16 जून 2024 को गंगा दशहरा पर संन्यास दीक्षा ग्रहण की।

पूर्व जीवन परिचय: 
पूज्य गुरुदेव भगवान के माध्यम से चल रही विश्व की सबसे पहली लम्बी व सबसे बड़ी पदयात्रा “”31 वर्षीय गो पर्यावरण एंव अध्यात्म चेतना पदयात्रा”” का आगमन रायला ग्राम में हुआ। ईश्वर की अद्भुत कृपा हुई और ऐसे त्यागी तपस्वी एवं परम गौभक्त गुरु का सानिध्य प्राप्त हुआ। परम पूज्य गुरूदेव भगवान के मुखारविंद से गो महिमा कथा को सुनकर मन प्रभावित हुआ प्रारंभ में घरवालों का विरोध रहा परन्तु कालांतर में सब सहज हो गया और घर छोड़ कर सदा-सदा के लिए गुरुदेव भगवान की शरण में आ गया। 

गुरूदेव भगवान द्वारा  प्रदत्त जिम्मेदारियां:
वर्तमान में मुझे गुरुदेव भगवान की कृपा से निम्न सेवादायित्व प्राप्त करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है:-
1. ३१ वर्षीय गो पर्यावरण एवं अध्यात्म चेतना पदयात्रा के एक भाग श्याम यात्रा में 3 दिसम्बर २०४३ तक चलना, प्रवचन करना तथा जन-जन को भगवती गौमाता की महिमा से अवगत करा गौमाता की महिमा को पूरे भारतवर्ष तक पहुंचाना।
2. जनमानस की हृदय में गौ सेवा एवं गौ रक्षा के भाव पुन: जाग्रत करना।
3. गौमाता के धार्मिक, आर्थिक, आध्यात्मिक एवं ईश्वरीस्वरूप तथा पंचगव्य के औषधीय महत्व को सबके सामने रखना।
4. कृषक भाई-बहनों को रसायनमुक्त गौ आधारित प्राकृतिक कृषि के लिए प्रेरित करना एवं सभी को अपने जीवन में वेदलक्षणा गौमाता से प्राप्त गव्य पदार्थों के उपयोग के लिए प्रेरित करना।
5. आंगन में गौमाता को विराजमान कर या किसी भी प्रकार से किसी भी रूप में गौसेवा करने के लिए प्रेरित करना ताकि सम्पूर्ण विश्व में गौ आधारित सनातन संस्कृति की पुनः स्थापना हो।

 

कार्य सिद्धि हेतु संकल्प:
1. एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने के लिये वाहन का प्रयोग नहीं करना। 
2. पैरों में जुते-चप्पल धारण नहीं करना। 
3. विलासिता का त्याग कर दरी, कम्बल, चटाई पर ही शयन करना। 
4. किसी का आथित्य स्वीकार कर किसी के गृह में प्रवेश नहीं करना।
5. किसी से दान, चन्दा, भेंट, राशि, अन्न, वस्त्र, नारियल इत्यादि स्वीकार नहीं करना।
6. पूर्णतः गोव्रती प्रसादी का ही सेवन करना। 
7. किसी भी प्रचार सामग्री पर अपना नाम, फोटो नहीं छपवाना। 
8. मोबाइल को स्पर्श नहीं करना।