31 वर्षीय गौ पर्यावरण एवं अध्यात्म चेतना पदयात्रा (हल्दीघाटी से संपूर्ण भारतवर्ष)

ना हमें नाम चाहिए, ना हमें दान चाहिए,
हमें गो हत्यामुक्त गो सेवायुक्त हरा-भरा शान्तिपूर्ण स्वच्छ हिंदुस्तान चाहिए

जय गो माता
|| ॐ करणी ||
जय गुरुदाता

धेनु धाम फाउंडेशन

'धेनु धाम - जग हित काम '

धेनु धाम फाउंडेशन मुख्य उद्देश्य

धेनु धाम फाउंडेशन के मुख्य उद्देश्य:-
1. 31 वर्षीय गो पर्यावरण और अध्यात्म चेतना पदयात्रा के सभी विभागों का सुव्यवस्थित संचालन करना, उनका भौतिक,आर्थिक और मानवीय संसाधन का प्रबंधन देखना।
2. भारतवर्ष के 700 से अधिक जिलो के
गांव-गांव में पैदल -पैदल जाकर गो माताजी के आर्थिक, वैज्ञानिक, सांस्कृतिक ,औषधीय और धार्मिक महत्व को निःशुल्क कथा, प्रवचन, मोटिवेशन उद्बोधन के माध्यम से प्रस्तुत कर जन मानस में स्थापित करना।
3. पर्यावरण शुद्धिकरण और साफ़ सफ़ाई के लिए जागृत करना।
4. गांव-गांव पैदल-पैदल जाकर वृक्षारोपण करना तथा करवाना। 
5. सनातन समाज से अंधविश्वास खत्म हो, सत्य धर्म की मानव धर्म की स्थापना का ह्रदय से प्रयास करना।
6. मानव मात्र छोटे बड़े सभी प्रकार के व्यसन से मुक्त हो, इस हेतु जन जागरण करना।
7. कन्या भ्रूण हत्या समाप्त हो, इस हेतु कन्या महत्व का विषय जन-मानस को समझाना। 
8. दहेज प्रथा के दुष्परिणाम की और ध्यान आकर्षित करना ।
9. संपूर्ण वेदलक्षणा गोवंश को आहार, आश्रय, आदर, आजादी, औषधि और आनन्द की उपलब्धता हेतु जन-जागरण के साथ साथ धरातल पर कार्य करना। 

धेनु धाम फाउंडेशन
(३१ वर्षीय गो पर्यावरण और अध्यात्म चेतना पदयात्रा) के सहायक उद्देश्य :-
1.  दवा देवी फाउंडेशन के अनुमोदन और आग्रह पर गौ एंबुलेस उपलब्ध करवाने के लिए श्रीमंत संस्थाओं को प्रेरित करना तथा इस हेतु विधायक और सांसद निधि का उपयोग करने के लिए विधायक, सांसद को प्रेरित करना, दवा देवी फाउंडेशन के माध्यम से अभावग्रस्त गो- चिकित्सालय में नि:शुल्क दवा वितरण करवाना।
2. दाता देवी फाउंडेशन के माध्यम से विशेष आवश्यकता वाले स्थानों पर गो-चिकित्सालय का निर्माण करवाना निर्माण कार्यों में समाज को सहयोग में लगाना।
3. दाना देवी फाउंडेशन के माध्यम से 
शासन, समाज, धर्मात्मा श्रेष्ठीजन, और समर्थ संस्थाओं के सहयोग से विशेष अभावग्रस्त क्षेत्र में विशेष आवश्यकता होने पर गो आहार का प्रबंध करवाना और चारागाह विकास हेतु सहयोग करना।
4.  दृष्टि देवी फाउंडेशन के माध्यम से गो सेवा प्रकल्पों का प्रचार प्रसार करवाना और समाज के सहयोग से गो-सेवा हित जन जागरण हेतु हो रहे धार्मिक, चिकित्सीय साहित्य प्रकाशन और वितरण में सहयोग करवाना।
5. धेनु धारा फाउंडेशन के अनुमोदन से शासन, समाज, धर्मात्मा श्रेष्ठीजन, और समर्थ संस्थाओं के सहयोग से अभावग्रस्त क्षेत्र में गोमाताओ के लिए विशेष आवश्यकता होने पर जल प्रबन्धन हेतु कुवा, बोर और की खेल (कुंडी) की व्यवस्था करवाना ।
6. धेनु धन फाउंडेशन द्वारा संचालित ऋषि कृषि और पंचगव्य उत्पाद वितरण और विनियोग हेतु पदयात्रा के प्रवचनों के माध्यम से गो-उत्पाद विक्रय केंद्र स्थापित करने हेतु बेरोजगार गो प्रेमी युवाओं को तैयार करना। 
7. ग्वाल शक्ति सेना (G.S.S) के माध्यम से गोशाला और गो-चिकित्सालय के लिए शासन और समाज द्वारा भूमि आवंटन अथवा भूमि दान में आ रही समस्याओं का निराकरण करवाना।
8. धेनु शक्ति संघ (d.S.S) (गो सेवी महिला संगठन) के माध्यम से  गोशालाओ, गो चिकित्सालयों में शासन और समाज द्वारा भूमि आवंटन अथवा भूमि दान में आ रही समस्याओं का निराकरण करवाना। 
9. धेनु दर्शन फाउंडेशन के तत्वावधान में शासन, समाज, धर्मात्मा श्रेष्ठीजन, और समर्थ संस्थाओं के सहयोग से विशेष आवश्यकता वाले स्थानों पर गो संवर्धन केंद्र की स्थापना करवाना
10. धेनु देवी फाउंडेशन के माध्यम से गोशालाओ,गो चिकित्सालयों हेतु उचित श्रद्धावान ग्वाल की व्यवस्था कराना और बेरोजगार गो सेवी कार्यकर्ताओं का चयन कर उन्हें नि:शुल्क प्रशिक्षण दिलवाना। 
11. धेनु धरती फाउंडेशन के बैल और पंचगव्य आधारित ऋषि कृषि के कार्यों को कथा, प्रवचन के माध्यम से प्रचारित करना तथा उनके ऋषि कृषि आधारित उत्पादों के विक्रय में सहयोग करना।
12. धार्मिक केंद्र स्थापित करना।
13. गौशाला निर्माण एवं संचालन करना। 

धेनु धाम फाउंडेशन

31 वर्षीय गो पर्यावरण एंव अध्यात्म चेतना पदयात्रा की यात्रा प्राचीन काल से ही भारत में गोधन को मुख्य धन मानते आए हैं और हर प्रकार से गौ-रक्षा, गौ-सेवा एवं गौ-पालन पर ज़ोर दिया जाता रहा है। यहाँ तक की स्वयं भगवान अपने निराकार रूप का त्याग कर निराकार, आकर, साकार रूप धारण कर भगवती गौ माता के हित धराधाम पर अवतरित होकर पधारते हैं।

बिप्र धेनु सुर संत हित, लीन्ह मनुज अवतार।
निज इच्छा निर्मित तनु, माया गुन गो पार॥ 

गो द्विज धेनु देव हितकारी।
कृपा सिंधु मानुष तनुधारी॥

स्वयं भगवान कभी श्री राम रूप में तो कभी श्री कृष्ण रूप में तथा अनान्य अवतारों को धारण कर गौ सेवा की प्रेरणा हेतु इस धरा धाम पर अवतरित होते हैं। तथा स्वयं भगवती गौमाता की सेवा कर जन सामान्य को गौ-सेवा करने का निर्देश प्रदान करते हैं।

वास्तविक बात तो ये है कि सर्वजगत का हित करने वाली, सकल पापों का नाश करने वाली, सबका मंगल करने वाली, सबको आश्रय देने वाली गौमाता, जिनके तन में सभी देवता निवास करते हैं, जिनके चरणों में सारे तीर्थ निवास करते हैं, जिनके रोमकूप ऋषि आश्रय स्थल है, जो सारे जगत की माता कहलाती हैं, वह लोक कल्याण हित आश्रित अवतार के रूप में प्रकट होती है। शुद्र दृष्टि (सामान्य दृष्टि) से देखने पर गौमाता की भौतिक देह पशु से साम्यता रखती हैं, लेकिन वास्तव में अन्तर्दृष्टि से देखने पर पता चलता हैं कि गौमाता पशु नहीं, प्राणी नहीं, सनातन धर्म का प्राण है। गोमाता जानवर नहीं, भारतीय संस्कृति की जान है, सत्य सनातन धर्म की शुद्ध पहचान है, गौमाता भूत, भविष्य और वर्तमान है। गौमाता सनातन धर्म के अवतारों की इष्ट हैं और देवताओं समान है। यह बात विभिन्न धर्मग्रन्थों में भी उल्लेखित हैं, प्रमाणित हैं कि गोमाता स्वयं धरती पर चलता फिरता भगवान हैं। आज वर्तमान समय में भोगलोलुप आसुरी सभ्यता से मोहित मानव जाति द्वारा वेदलक्षणा गौवंश की उपेक्षा, तिरस्कार और हिंसा, निर्दोष प्राणियों (पशु-पक्षियों) का जीवनाधिकार हनन, पर्यावरण प्रदुषण जैसी सर्वसृष्टि शोषणकारी प्रवृतियों से सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में प्रलयंकारी विष व्याप्त हो गया है, जिसका दुष्परिणाम मानव सहित समस्त जीव जगत के लिए घोर अन्धकारमय और अत्यंत क्लिष्ट नारकीय जीवन के रूप में सामने आ रहा है। उपरोक्त कारणों से समष्टि प्रकृति में भयंकर विकृतियाँ पैदा हो गई है, जिससे सृष्टि का श्रृंगार कहलाने वाला मनुष्य ही स्वयं के लिए अभिशाप बनता जा रहा है अर्थात् भौतिक तथा आध्यात्मिक जगत में भयंकर अँधेरा व्याप्त होता जा रहा है। मानव द्वारा निर्मित उपरोक्त विकट परिस्थितियों के कारण सृष्टि रचियता परमात्मा एवं सृष्टि की मूल प्रकृति अत्यंत अप्रसन्न है। वर्तमान समय में हजारों गौमाताएं कसाइयों के द्वारा काट दी जाती हैं, पोलीथीन खाकर प्राण त्याग देती हैं, सड़क दुर्घटना का शिकार हो जाती हैं, धर्मपरायण जनता की उपेक्षाओं की शिकार हो रही हैं, आहार औषधि और आश्रय हेतु यत्र तत्र भटकने की लीला कर रही हैं। गौवंश के कष्ट में होने के कारण आज सारा मानव समाज इसी कारण दु:खी है। अतः प्रत्येक मनुष्य जिसे मानव शरीर प्राप्त हुआ हो, उसमें मानवता जाग्रत हो, तभी पूर्णता आएगी।

मनुष्य में मनुष्यत्व को जगाने में यदि कोई सार्वभौम साधन है, तो वह सर्वहितकारी भाव से वेदलक्षणा गौमाता की सेवा और पर्यावरण रक्षा……
पुज्या गौमाता तथा उसके अखिल गौवंश के संरक्षण, सम्पोषण, पर्यावरण संरक्षण हेतु वृक्षारोपण करना एवं विश्व शांति स्थापित करने वाली सनातन संस्कृति का प्रचार करना, यही एक पूर्णतया सर्व हितकारी प्रवृति है, जो निष्काम भाव से वेदलक्षणा गौवंश की सेवा को प्रचारित करेगी।
इन समस्त भावों का संचार जब परम पूज्य ग्वाल संत श्री गोपालाचार्य स्वामी गोपालानंद जी सरस्वती जी महाराज जी के हृदय में हुआ, तब 31 वर्षीय गो पर्यावरण एंव अध्यात्म चेतना पदयात्रा की संकल्पना हुई। गोवंश को पुनः जन मानस के हृदय पटल एवं जन-जन के आंगन में स्थापित करने के लिए संपूर्ण भारतवर्ष में जन जागृति अत्यंत आवश्यक है और इसके लिए जन-जन तक पहुंचने की महती आवश्यकता है। इसी भाव को लेकर के पूज्य गुरुदेव भगवान के मन में 31 वर्ष तक पैदल चलकर प्रत्येक गांव में, शहर में जाकर गौ माता की अद्भुत महिमा लोगों तक पहुंचने का शुभ विचार प्रकट हुआ। और 4 दिसंबर 2012 को प्रातः 3:15 बजे इस यात्रा के विचार को मूर्त रूप प्रदान किया गया।

यह 31 वर्षीय गो पर्यावरण एंव अध्यात्म चेतना पदयात्रा राजस्थान की वीर भूमि हल्दीघाटी से प्रारंभ हुई। हल्दीघाटी ऐसी ऐतिहासिक एंव वीर भूमि है, जिसे कलयुग का कुरुक्षेत्र भी कहा जाए, तो कोई अतिशयोक्ति प्रतीत नहीं होती है। जहाँ पर हिंदूआ सूरज महाराणा प्रताप ने आततायी अकबर से अपनी मातृभूमि को रक्षित करने के उद्देश्य से भीषण युद्ध किया। महाराणा प्रताप सिंह जी ने उत्तम महलों का त्याग किया, गादी बिस्तरों का त्याग किया, सुख सुविधाओं का त्याग किया, और जंगल में रहना स्वीकार किया, काँटों पत्थरों पर चलना स्वीकार किया, घास की बनी रोटियां खाना स्वीकार किया, परन्तु मातृभूमि का सिर शर्म से नीचे झुकने नहीं दिया। मातृभूमि एंव गौमाता की रक्षा के लिए अपना पूरा जीवन न्यौछावर कर किया। ऐसी वीर धरा से 4 दिसंबर 2012 को प्रातः 3:15 बजे दाताजी “”ब्रह्मलीन स्वामी श्री राम ज्ञान तीर्थ जी महाराज” के मार्गदर्शन में परम पूज्य ग्वाल संत श्री गोपालाचार्य स्वामी गोपालानंद जी सरस्वती जी महाराज जी के सानिध्य में “”31 वर्षीय गो पर्यावरण एंव अध्यात्म चेतना पदयात्रा”” प्रारंभ हुई।

हमारी प्रमुख सेवाएं

समाज गौमाता की दिव्य महिमा सुनकर गौमाता की सेवा, रक्षा में लगे

पेड़ पौधों की अंधाधुंध कटाई और पर्यावरण प्रदूषण के कार्य पर नियंत्रण हो

समाज से अंधविश्वास खत्म हो तथा वास्तविक धर्म की स्थापना हो

अधिक से अधिक वृक्षारोपण हो

फाउंडेशन के सदस्य

साध्वी श्री शबला गोपाल सरस्वती दीदी जी
गोपाल स्वामी श्री धीरजानंद सरस्वती जी महाराज
ब्रह्मचारी श्री एकलव्य गोपाल जी

जो कोई भक्त भक्ति भाव से गो-सेवा करता हैं, वो जन सब पापों से रहित हो जाया करते हैं।