मेरा सामान्य परिचय:

1.  प्राप्त शरीर का नाम:- ब्रह्मचारी एकलव्य गोपाल
2. जन्मतिथि:- जन्म दिनांक 29 नवम्बर 2001
(गुरुवार रात्रि, तिथि- चतुर्दशी, पक्ष- शुक्ल, माह- कार्तिक )
3. शरीर का पूर्व नाम:- सेठी
4. प्राप्त शरीर का जन्म स्थान:- लाडवी, हिसार, हरियाणा
5. एज्युकेशन:-Diploma in para veterinary from Chaudhary  Charan Singh Haryana agricultural University, Hisar
6. आध्यात्मिक शिक्षा:- परम पूज्य सदगुरुदेव भगवान ग्वाल संत श्री गोपालाचार्य स्वामी गोपालानंद जी सरस्वती जी महाराज जी के सानिध्य में गौ-कथा, श्रीमद्भगवत गीताजी, साधन निधि, वेदांत सत्संग का अध्ययन-श्रवण वर्ष 2024 में किया।

सामान्य लौकिक जीवन से अध्यात्म यात्रा:
मुझे प्राप्त वर्तमान शरीर का जन्म दिनांक 29 नवम्बर 2001 में हरियाणा, हिसार के लाडवी गांव के किसान परिवार में हुआ। शरीर के माता-पिता पुलिस में सेवारत रहते हुए भी कृषि कार्य किया करते थे, इसलिए बाल्यकाल में ऐसा दृश्य देखा कि बैलों से खेती होती है। बैल भगवान बहुत शांत होते हैं और कभी-कभी तो घर से बैलगाड़ी पर जोत कर छोड़ते तो अपने आप खेत पर चले जाते हैं और खेत से बैलगाड़ी पर सामान भरकर छोड़ते तो अपने आप घर पर आ जाते। गांव के नंदी भगवान भी रहते उनको सब आदर भाव से रखते थे। गोलोकगमन के बाद भावपूर्वक समाधि देते थे। परिवार में आध्यात्मिक वातावरण होने से प्रारंभ से ही सामान्य व्रत, पूजा- पाठ, रात्रि जागरण इत्यादि होता ही रहता था।
diploma in para veterinary की शिक्षा प्राप्त करने के बाद जीवन मेडिकल के क्षेत्र में आगे बढ़ रहा था, परन्तु जीवन में धीरे-धीरे बदलाव आया। मन में आस्था भाव बढ़ने लगा, पूजा, व्रत-उपवास, ध्यान, स्वाध्याय में रुचि होने लगी। संतों के संग से शरीर की नश्वरता और आत्मा की अमरता की जानकारी मिली। मन से विषयों के प्रति आसक्ति कम होने लगी, संसार की सेवा और अपनी तलाश करने की मांग होने लगी। सेवा के विभिन्न आयाम सामने आए। फिर परम पूज्य गुरुदेव भगवान के मुखारविंद से गो महिमा सुनी तो लगा कि ये गौ-सेवा सर्वोत्तम हैं। एक संत के मुखारविंद से सुना था कि अध्यात्म यात्रा बहुत मुश्किल, कठोर, होती हैं, परन्तु किसी गुरु के सानिध्य मे रह कर चले, तो सुगमता से पूर्ण हो जाएगी और शुरुआत मंत्र दीक्षा से करें।
ईश्वर कृपा से परम पूज्य सद्गुरुदेव भगवान ग्वाल संत श्री गोपालाचार्य स्वामी गोपालानंद जी सरस्वती जी गुरुदेव का मुझे सानिध्य प्राप्त हुआ और देवभूमि की पुण्य धरती पर, चैत्र नवरात्रि की अष्टमी के दिन, स्वामी राम साधना पीठ, गंगोरी, उत्तरकाशी, उत्तराखंड में परम पूज्य सदगुरुदेव भगवान से मंत्र दीक्षा प्राप्त हुई। इसके बाद जीवन गौमाता की सेवा में और परम पूज्य गुरुदेव भगवान के सानिध्य में चल रहा है।

गुरूदेव भगवान द्वारा  प्रदत्त जिम्मेदारियां:
वर्तमान में मुझे गुरुदेव भगवान की कृपा से निम्न सेवादायित्व प्राप्त करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है:-
1. विश्व की सबसे लम्बी 31 वर्षीय गौ पर्यावरण एवं अध्यात्म चेतना पदयात्रा का गुरूदेव भगवान के मार्गदर्शन में नियोजन सेवा कार्य को देखना।
2. 42 नियमों का पालन करते हुए गो कृपा कथा के माध्यम से गो महिमा का प्रचार करना
3. गुरूदेव भगवान के आदेशानुसार गौ-चिकित्सालयों और अन्य गौ-सेवा प्रकल्पों के नव निर्माण और जीर्णोद्धार के कार्य को देखना।
4. निष्काम कर्मयोगी बनकर ११ लाख गोवंश को गोपाल परिवार के माध्यम से आहार, औषधि आश्रय प्राप्त हो, उसमें तन-मन से लग जाना। 

कार्य सिद्धि हेतु :
1.  पैरों में जूते-चप्पल नहीं पहनना।
2.  गोव्रती प्रसादी का ही प्रयोग करना ।

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