मेरा सामान्य परिचय:-
1. शरीर का वर्तमान नाम:- साध्वी शबला गोपाल सरस्वती गुरू गोपालाचार्य स्वामी गोपालानंद सरस्वती जी महाराज
2. जन्मतिथि:- (कार्तिक शुक्ल द्वादशी, वि.सं २०४८)
जन्म दिनांक:- 19 नवंबर 1991
3. शरीर का पूर्व नाम:-सुमति श्रीराम चौधरी
4.शरीर का जन्म स्थान:- एरंडोल,तहसील- एरंडोल, जिला -जलगांव, महाराष्ट्र 
5. लौकिक शिक्षा:- कक्षा 12वीं, विज्ञान तक & पञ्चगव्य डिप्लोमा 
6. आध्यात्मिक शिक्षा:- परम पूज्य सद्गुरुदेव भगवान ग्वाल संतश्री गोपालाचार्य स्वामी गोपालानंद जी सरस्वती जी महाराज जी के सानिध्य में गीता, वेदांत, राम चरितमानस और पुराणों का अध्ययन कर वर्ष 2009 में गृह त्याग कर संन्यास लिया।
 
सामान्य लौकिक जीवन से अध्यात्म यात्रा:-
                    मुझे प्राप्त वर्तमान शरीर का जन्म तिथि कार्तिक शुक्ल द्वादशी, वि.सं २०४८, दिनाँक-19 नवम्बर 1991 को एक शिक्षित अभियंता परिवार में हुआ। पारिवारिक वातावरण प्रारंभ से ही, आध्यात्मिक रहा। बाल्यकाल भक्तिभाव, देव दर्शन, शास्त्र अध्ययन, व्रत -उपवास, भगवत कथा श्रवण से भरपूर रहा। बाल्यकाल में भगवती गोमाता जी की सेवा, धर्म संगत व्यवहार, राष्ट्र की सेवा का भाव ऐसी शिक्षा-संस्कार माता-पिता की द्वारा प्राप्त हुए थे l 
                   वर्ष २००८ में पूज्य गुरुदेव भगवान जी के श्री मुखारविन्द से प्रथम बार गो राम कथा सुनने का शुभ अवसर मिला। गोमाता जी करुण लीला कथा और राष्ट्र के प्रति उनके विचारों सुनकर जीवन पर विशेष प्रभाव पड़ा। गुरुदेव भगवान के सानिध्य में रहकर गौमाता, राष्ट्र, व धर्म की सेवा एंव रक्षामय जीवन जीने का भाव हृदय में उत्पन्न हुआ। पश्चात् समय-समय पर गुरुदेव भगवान के मुखारविन्द से कथा श्रवण का अवसर मिलता रहा, इसी बीच आपके सानिध्य मे योग सत्र, वास्तुदोष निवारण, पंचगव्य चिकित्सा का ज्ञान लाभ भी प्राप्त हुआ। एक दिन माता-पिता जी के समक्ष मैंने विलासी जीवन, सुख सुविधामय जीवन का त्याग कर संन्यासी जीवन जीने की इच्छा व्यक्त की, परन्तु मेरा यह विचार उन्हें बिल्कुल भी रास नहीं आया। फिर 8 माह के लम्बे संघर्ष के बाद उन्होंने गृह त्याग के लिए प्रसन्नतापूर्वक स्वीकृति प्रदान की। पश्चात् पूज्य गुरुदेव भगवान ने राम कथा कहने का आदेश दे मंच पर बिठाया। उस दिन गुरु कृपा का प्रत्यक्ष साक्षात्कार हुआ। कभी मंच पर दो शब्द कहने की हिम्मत नहीं थी, परन्तु गुरुदेव के कृपा आशिर्वाद से 9 दिवसीय कथा का गान सहज ही हो गया। 
प्रतिवर्ष करोडों गोवंश का वध हो रहा है, प्लास्टिक पॉलिथीन खाकर, अत्यधिक गर्मी में चारा-पानी के अभाव से, कड़ाके की सर्दी में ठंड से, सड़क दुर्घटना में लाखों निराश्रित गोवंश प्राण त्याग देता है, मानव समाज द्वारा उपेक्षित होकर गोवंश आहार एवं आश्रय हेतु दुःख लीला कर रहे हैं, इन सब विषयों पर सुधार हो, घर-घर गो माता जी की प्रेम-श्रद्धा पूर्वक सेवा हो, यह भाव रखते हुए गुरुदेव भगवान के मार्गदर्शन एवं कृपा आशिर्वाद से 400 से अधिक गो कृपा कथा, गो राम कथा, गो भागवत कथा, हनुमानजी कथा, श्री देवी भागवत कथा और नानी बाई का मायरा का आयोजन हुआ।
४ दिसम्बर २०१२ परम पूज्य गुरुदेव भगवान के माध्यम से विश्व की सबसे पहली लम्बी व सबसे बड़ी पदयात्रा “”31 वर्षीय गो पर्यावरण एंव अध्यात्म चेतना पदयात्रा, हल्दी घाटी से सम्पूर्ण भारत वर्ष “” प्रारंभ हुई तथा भगवती गौ माता जी की अद्भुत कृपा से इसके एक भाग पहले श्याम यात्रा, फिर राम यात्रा संचालित करने का का सौभाग्य २४ मार्च २०२१ को प्राप्त हुआ। इस पदयात्रा की गोमय पीठ द्वारा सम्पूर्ण भारत के गांव-गांव में गो कथाओं के आयोजन के माध्यम से जन समाज के हृदय मे गौमाता जी की श्रद्धापूर्वक सेवा का भाव बने एवं भारतीय गोवंश घर में स्थापित हो… इस हेतु सतत् कार्य परम पिता परमात्मा करवा रहे है। 
इस पदयात्रा और इस प्रयास के माध्यम से हजारों गोवंश घरों में स्थापित हुआ है। 
समाज गौशालाओं से जुड़ा है।
सैकड़ो नवीन गोशालाओं का निर्माण तथा गोशालाओं का जीर्णोद्धार हुआ है।
पञ्चगव्य चिकित्सा द्वारा लोग रोगमुक्त हुए हैं। हजारों लोगों ने व्यसन का त्याग किया है। 
 
जिम्मेदारी:-
           1. ३१ वर्षीय गो पर्यावरण एवं अध्यात्म चेतना पदयात्रा के एक भाग राम यात्रा में 3 दिसम्बर २०४३ तक चलना, प्रवचन करना तथा जन-जन को भगवती गौमाता की महिमा से अवगत करा गौ ता की महिमा को पूरे भारतवर्ष तक पहुंचाना।
 
कार्य सिद्धि हेतु संकल्प:-
1. एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने के लिये वाहन का प्रयोग नहीं करना। 
2. पैरों में जुते-चप्पल धारण नहीं करना। 
3. विलासिता का त्याग कर दरी, कम्बल, चटाई पर ही शयन करना। 
4. किसी का आथित्य स्वीकार कर किसी के गृह में प्रवेश नहीं करना।
5. किसी से दान, चन्दा, भेंट, राशि, अन्न, वस्त्र, नारियल इत्यादि स्वीकार नहीं करना।  
6. पूर्णतः गोव्रती प्रसादी का ही सेवन करना। 
7. किसी भी प्रचार सामग्री पर अपना नाम, फोटो नहीं छपवाना। 
8. मोबाइल को स्पर्श नहीं करना।